2024-07-23

कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (सीसीटीएस) के अंतर्गत अनुपालन तंत्र के लिए विस्तृत प्रक्रिया:

उद्देश्य और रूपरेखा

यह योजना भारत के ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत भारतीय कार्बन बाजार (ICM) और कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) 2023 स्थापित की गई है। इसका उद्देश्य उत्सर्जन में कमी लाकर पर्यावरण को बचाना है।

अनुपालन तंत्र

सरकार ने कुछ संस्थानों को GHG उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य दिए हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इन संस्थानों को हर साल अपने GHG उत्सर्जन को निर्धारित सीमाओं के भीतर रखना होगा।

GHG उत्सर्जन तीव्रता प्रक्षेपवक्र और लक्ष्य

  • लक्ष्य कैसे निर्धारित होते हैं: विशेषज्ञ समिति द्वारा तकनीकी विश्लेषण के बाद ये लक्ष्य तय किए जाते हैं। इसमें यह देखा जाता है कि किस प्रकार की तकनीक उपलब्ध है, लागत कितनी आएगी, ऊर्जा की बचत कितनी होगी, और कौन से विकल्प अपनाए जा सकते हैं।
  • उत्सर्जन स्रोत: इसमें तीन प्रमुख स्रोत शामिल हैं – प्रत्यक्ष ऊर्जा उपयोग (जैसे बिजली), प्रत्यक्ष प्रक्रिया उत्सर्जन (उत्पादन प्रक्रिया से उत्सर्जन), और अप्रत्यक्ष ऊर्जा-संबंधित उत्सर्जन (जैसे खरीद की गई बिजली से उत्सर्जन)।

निगरानी, रिपोर्टिंग और सत्यापन

  • निगरानी योजना: संस्थानों को एक योजना बनानी होगी जिसमें उत्सर्जन की निगरानी, डेटा का नियंत्रण, और उत्सर्जन की गणना कैसे होगी, इसका विवरण होगा।
  • GHG उत्सर्जन की गणना: ऊर्जा के उपयोग और उत्पादन प्रक्रिया से उत्सर्जन को CO2 समकक्ष में परिवर्तित किया जाएगा।
  • सत्यापन: स्वतंत्र एजेंसियाँ इन रिपोर्टों की जांच करेंगी और उत्सर्जन की सत्यता की पुष्टि करेंगी।

कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र (CCC)

  • प्रमाणपत्र प्राप्त करना: जो संस्थान अपने लक्ष्य से कम उत्सर्जन करते हैं, उन्हें कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र (CCC) दिया जाएगा।
  • प्रमाणपत्र जमा करना: जो संस्थान अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाते, उन्हें अपने बैंक किए गए या खरीदे गए CCC जमा करने होंगे।

शासन

  • राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC-ICM): यह समिति इस योजना की निगरानी और संचालन करती है। इसमें विभिन्न सरकारी मंत्रालयों, राज्य सरकारों और उद्योग विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

प्रमुख परिभाषाएँ

इस दस्तावेज़ में उपयोग किए गए कुछ महत्वपूर्ण शब्द:

  • गतिविधि डेटा: यह डेटा किसी गतिविधि के परिणामस्वरूप उत्पन्न उत्सर्जन की मात्रा को दर्शाता है।
  • आधार वर्ष: यह वह वर्ष होता है जिसे उत्सर्जन की तुलना के लिए आधार माना जाता है।
  • जैविक ऊर्जा स्रोत: वे स्रोत जो जीवाश्म ईंधन के बजाय बायोमास से उत्पन्न होते हैं।
  • बायोमास: जैविक पदार्थ जैसे लकड़ी, फसल अवशेष आदि।
  • गणना कारक: उत्सर्जन की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले मानक।
  • प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष GHG उत्सर्जन: प्रत्यक्ष उत्सर्जन वे होते हैं जो सीधे स्रोत से उत्पन्न होते हैं, और अप्रत्यक्ष वे जो किसी अन्य प्रक्रिया के माध्यम से होते हैं।

इस योजना का उद्देश्य एक संरचित प्रणाली के माध्यम से भारत में GHG उत्सर्जन को नियंत्रित और कम करना है, ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।


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